गहरी जड़ें
वागीश्वरी सम्मान प्राप्त कथा-संग्रह : गहरी जड़ें : अनवर सुहैल
मूलतः यथार्थ प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित, किन्तु प्रकाशन बंद होने के कारण apn पब्लिकेशन दिल्ली से किताब का नया संस्करण पेपरबैक में प्रकाशित हो रहा है.
"अल्पसंख्यक होने की पीड़ा, दंश और अपमान का अनुभव, हिंदी कथा-साहित्य में पहले भी आता रहा है. गरीब मुसलमान चाहे वे अशराफ हों या पसमांदाय का चित्रण भी, उनके रीति-रिवाजों, जीवनचर्या और असुरक्षा बोध के साथ होता रहा है. ऐसा नही है कि अनवर सुहैल ने ऐसी कहानियां नही लिखी हैं...लिखी हैं और खूब लिखी हैं.
इस संग्रह में भी 'ग्यारह सितम्बर के बाद' 'गहरी जड़ें' आदि सभी कहानियां इस प्रवृत्ति को चित्रित करती हैं परन्तु जब हम उनकी कहानियां -'कुंजड-कसाई' 'फत्ते-भाई' 'पीरु हजाम उर्फ हजरत जी' पढ़ते हैं, तब एक मुस्लिम परिवेश की इस अल्प-परिचित दुनिया का दरवाजा खुलता है. यहाँ पता चलता है कि हिन्दुओं की जाति-व्यवस्था, जैसे ज्यों-की-त्यों उठकर पहुँच गई है."
---अजय नावरिया